Sunday, October 2, 2011

हवाई जहाजसे खत

है ना मुमु
मैने तीन खत भेजे। एकभी जवाब नही। मेरी याद आती होगी ना।
तुझे खत मिलते है ना। अधर मिर्ची मसाला बैंगन फ्राय पापलेट
नही मिलते। अभी तुम बरतन और लादी धोती है ना।
बच्चे याद करते है या नही। जिंदगी इतनी करीब इतनी दूर
इधर इराक उधर इंडिया। ब्लाऊझका कपडा अच्छा लगाना
कटोरी कट सिलाना फिटींग बराबर होता प्रेमजीसे नही सिलाना
कलरफुलके पास सिलाना। जैसे जैसे शाम होती है जैसे जैसे रात
होती है इरानी सोल्डर बम्बारी करते है वो धुमधाममे
मेरा कलेजा तेरी यादमे क्या होता है समझता नही। वो खोमेनी
है ना इरानके धरमगुरू वो शहाने इस्लाम खतरेमे डाला था ना
वो शहाके सभी लोगोंका हररोज कचुंबर करता है। तू यादसे खाती
होगी ना फ्राय पापलेट चिकन सुप और पाया। तेरी कमर कैसी
है अब। वो बंडीका खुन्नस अभीभी है क्या मेरे उपर।
उसको समझाना आते समय जो वो माँगे वो लायेगा
खामेनी फिटर। भायखलाके बाटाके शुरूममे सँडल लेना
तुझे बहोत पसंद है ना। पैसे का फिक्र मत करना।
बंबईने मुझे दुनिया उल्टी पल्टी करनेको सिखाया है।
क्राफट मार्केट मे जगह है ना मत छोडना। इधर
इंदिरा गांधी का बहोत बडा नाम है। गरीब लोगोंके बारेमे
उनको कितना फिक्र है। मेरे जैसा फिटर और लाखो
कारीगर आज दुनियाके सभी कोने मे काम करके
इंडीयामे पैसे भेजते है और त्त्या क्या चीज लाते है।
लेकीन वे कस्टमवाले लोग हरामी है। तेरे लिये इधर
अमेरिकन जार्जेट सारी ली है। डागदर बाबूसे मिलती होगी
ना। बंसी पानवालेको खत भेजा है। मेरे जैसे लोग जभी
मुल्क छोडते है तो उन्हे बम्बई क्या मस्तकत क्या
कुवेत क्या अबुधाबी क्या इराक क्या एकही है।
मै मुल्कको भुल सकता हूँ लेकीन बम्बई नही भूल सकता
मुल्कसे आया तो मेरे पास क्या था एक उमर बिडी बंडल
अठन्नी उपर अस्मान नीचे धरती देना बैंककी।
बम्बईने मुझे खिलाया पिलाया बडा किया मुझे मुमु मिली
यही बम्बईमे मेरा नाम हुआ खामेनी फिटर।
मुल्कसे बम्बई बम्बईसे इराक इराक रिटन बम्बई
तेरी यादसे सोता हूँ।।
आखिर तेराही
खामेनी फिटर

No comments:

Post a Comment